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Uma Arya

Others

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एक स्त्री का ख्वाब

एक स्त्री का ख्वाब

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कहाँ मांगती है तुमसे कुछ ज्यादा बस थोड़ी सी केयर,

थोड़ा सा प्यार बस इतना सा ही तो इक स्त्री का ख्वाब'

चाहती है जब वो बहुत थकी हो

तो रखकर उसके कन्धे पर हाथ कह दो,

कर लो तुम भी अब थोड़ा सा आराम

बस इतना ही तो है इक स्त्री का ख्वाब।


नहीं चाहती महंगे कपड़े जेवर, साड़ी घर,

चाहती है कि जब कभी आटा लगे हाथ

उसके बालों को छू लें तो उसे देखकर तुम मुस्कुरा भर दो'

जब आयें उसके कपड़ों से मसालों की महक

तो उसे बाँहों में भरकर अपना बावर्ची कह दो

जब कभी बैठी हो, यूं ही उदास

तो प्यार से गले में बाँहे डालकर,

पूछो उससे उसकी उदासी का सबब

और कह दो मैं तो हूँ ना साथ,

बस इतना सा ही तो है इक स्त्री का ख्वाब


कभी हाथ पकड़ कर कह दो यूँ ही चलो

चले सिर्फ हम तुम ही बाहर'

और कभी पार्टी और फंक्शन में प्यार से सब के सामने कह दो

कि यही है हमारे घर की शान हमारी पहचान

बस इतना सा ही तो है एक स्त्री का ख्वाब।


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