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Rashmi Lata Mishra

Classics Inspirational

2.5  

Rashmi Lata Mishra

Classics Inspirational

कोयले खान का मजदूर

कोयले खान का मजदूर

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जी हाँ हाथों में,

कलाइयों में, अंगुलियों में;

मानव नस-नस में कालिमा समाई है,

और तो और नीले आसमान के

चारों ओर भी कालिमा छाई है।


क्यों तू मेरे लिए यह अनोखी नहीं 

अपितु मेरे जीवन की परिभाषा है।

क्योंकि कुछ इसी तरह की

कालिमा मेरे जीवन में

भी समाई है।


जी हाँ कोयला काम, कोयला दाम

कोयला ही जीवन है,

करूँ इसी कालिमा से

परिवार का भरण है।

खैर गम नहीं कि श्रम से

मेरे हाथ हुए काले हैं,

इन्हीं काले हाथों ने

काली खदानों से हीरे भी निकाले हैं।


वह हीरा जिसकी चमक से,

दुनिया चकाचौंध है,

पर अंतस ना देखें,

वह भी कोयले संग मौन है।

मैं शुक्रगुजार हूँ उस खुदा का

जिसने मेरे हाथ काले तो किए

पर वह कलंक के नहीं,

 श्रम के जरूर हैं;

और हम शान से कहते हैं,

 हम मजबूर नहीं

कोयले की खान के मजदूर हैं।

कोयले की खान के मजदूर हैं।।


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