ये कैसी घड़ी आई है अपने परिवार को भी मारता है तू ये कैसी घड़ी आई है अपने परिवार को भी मारता है तू
क्या शामत आई है कहाँ गया इसका वो बांकपन क्या शामत आई है कहाँ गया इसका वो बांकपन
दुष्टों, तेरे कुकृत्यों से ही, अब तेरी शामत आएगी। दुष्टों, तेरे कुकृत्यों से ही, अब तेरी शामत आएगी।
कभी गोदी में लेटे, छाती से लग, गर्दन में झूले, मीठी बातें कर खूब मक्खन लगाते हैं कभी गोदी में लेटे, छाती से लग, गर्दन में झूले, मीठी बातें कर खूब मक्खन लगाते हैं
फिर उनको कोई रास्ता नहीं मिला तो डाल दिए हथियार फिर उनको कोई रास्ता नहीं मिला तो डाल दिए हथियार
उसकी तो शामत आती थी वो विद्यालय की यादें भीनी-भीनी मुलाकातें थीं। उसकी तो शामत आती थी वो विद्यालय की यादें भीनी-भीनी मुलाकातें थीं।