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Arunima Bahadur

Inspirational

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Arunima Bahadur

Inspirational

अलग हूँ मैं

अलग हूँ मैं

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हाँ, कुछ अलग हूँ मैं,

लोगो की इस भीड़ से,

कुछ अलग हूँ मैं,

न सोचती हूँ,

उस भीड़ की तरह,


जो नारी को खेल समझते हैं,

दोस्त बनाकर हर पल 

ही बस छलते हैं,

न सुरक्षित आज की नारी,

पर जीना उसने सीखा हैं,

तोड़ हर बंधन को आज,


बस चलना उसने सीखा हैं,

हाँ, ले सकती हूँ हुंकार भी मैं,

जब अस्मिता पर प्रहार होता हैं,

बन जाती हूँ महाकाली भी,

जब जब दुष्ट असुर पनपता हैं,

है हर ओर असुरता ही,


क्या किस पर विश्वास करें,

जब न सुरक्षित माँ भी यहाँ,

बेटियो का कैसे बचाव करे

हूँ प्रेम की अविरल धारा,

जो बस बहती जाती है,


हर दीन दुखी का नारी

पोषण करती जाती हैं,

जब जब छला मुझे नर ने,

महायुद्ध हो जाता है,

तब नारी का रक्षक बन


शूरवीर आ जाता हैं,

कभी कान्हा,कभी श्रीराम

नारी के रक्षक होते है,

पर न ये सोचना कि

कौन आज बचाएगा,


नारी पर कुदृष्टि वालो,

महाप्रलय तुम पर आएगा,

नारी खुद ही खुद की रक्षक हैं

खतरे में नारी नही,

खतरे में भक्षक हैं,


दूर नहीं वह दिन भी अब,

जब हर नारी महाकाली बन जाएगी,

दुष्टों, तेरे कुकृत्यों से ही,

अब तेरी शामत आएगी।


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