पहल तो करो
पहल तो करो
बेहतर को इतना ही खोजो
कि खो न दे बेहतरीन को हम
आंखें खोल के मन को टटोलो
कितने पलों का होता है दम
अरे आसूं पोंछो खुशियां बांटो
जिंदगी के पल अब बचे है कम
कुछ उनकी सुनो कुछ अपनी कहो
"मैं" से चलो अब हो जाए "हम"
हम की माला है मोती जैसी
सजे धागे में गर सही हो क्रम
पहल तो करो काहे का है डर
एकता ही कुंजी बाकी सब भ्रम.....