" डरावना"
" डरावना"
डरावना शब्द मन में भय पैदा कर देता है,
बचपन में हम डरावनी किताबें पढ़ा करते थे ,
जिसमें डरावने जंगल , जानवर, आदमी का जिक्र होता था ,
आज कल डरावनी परिस्थितियाॅं रहने लगी हैं समाज में ।
किस पर विश्वास किया जाय किस पर नहीं, समझ नहीं आता ,
लड़की अपने ही समाज में सुरक्षित नहीं है।
भाई , भाई को धोखा दे रहा है, पड़ोसी, पड़ोसी को ,
देश , समाज में हरकोई अपने को असुरक्षित पाता है।
हमें इन डरावनी परिस्थितियों से लड़ना चाहिए,
समाज को सहज ,सरल वातावरण देना चाहिए,
ताकि , भाई - भाई , पड़ोसी - पड़ोसी मिलकर रहे ,
किसी को किसी से डरने की जरूरत नहीं रहे ।
लड़कियाॅं बेधड़क समाज में चल पाए ।
बच्चे, बूढ़े भी सम्मान से रहे समाज में ,
डर शब्द कहीं न आए समाज में।
डरावने शब्द से समाज का गठन सहज नहीं होगा ।
डरावना शब्द देश की उन्नति में बाधक है।