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Kajal Vaja

Inspirational

4.3  

Kajal Vaja

Inspirational

असली खूबसूरती

असली खूबसूरती

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नही जरूरत किसी जेवर की,

इन दिखावे के तेवर की,

ले जा पंछी तू गर चाहे,

माला मानेक ये मुंजावर की।


क्या सजाएंगे तन को ये मेरे,

मन के मोती संगम सुनहरे,

भाती मुझको माला मन की,

फिर क्या जरूरत इन जड़ रत्नों की।


मन की माला को जो भापे,

वही सबसे सुंदर कहलावे,

तन का तेज दो दिन का बसेरा,

मन के मंजुल से हरदम ही सवेरा।


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