नन्हे मुन्ने कलाकार
नन्हे मुन्ने कलाकार
आओ मिलवाऊँ तुम्हें दो नन्हे - मुन्ने कलाकारों से
फर्श को दीवारों को कैनवास बनाने वालों से
कभी जब बन जाते चित्रकार घर का कोना - कोना रंगों से रंग खुद भी रंगों में रंग जाते हैं
कभी इंजीनियर बन घर का सामान खेल - खिलौने सबके इंजर - पिंजर हिल जाते हैं
कभी रोना, कभी हँसना, रूठना,
मनाना, दौड़ना, भागना, नन्हे मुन्ने बन नये करतब दिखाते हैं
कभी गोदी में लेटे, छाती से लग, गर्दन में झूले, मीठी बातें कर खूब मक्खन लगाते हैं
कभी कभी तो मेरी अम्मा बन मुझे डाँट पिलाते हैं नन्ही - मुन्नी गुड़िया कहकर प्यार लुटाते हैं
सफ़ाई वाले बन आये समझो शामत आई, सामान सब तीतर - बीतर झाड़ू पोंछा भी कर जाते हैं
कभी रसोइया बन हाल बेहाल कर जाते हैं, दौड़ा - दौड़ा मम्मी को भरपूर थकाते हैं
पढ़ने बैठे कॉपी - किताब पुर्जे पुर्जे खुल जाते हैं, टीवी देखें कार्टून पर ख़ूब ऊधम मचाते हैं
खेलें जब गेंद बल्ला सचिन तेंदुलकर बन सबके छक्के छुड़ाते हैं
खाना, खाने बैठे हाथ - मुँह पर लपेट बजरंगी बन जातें हैं, नहाने जाये बाथरूम का स्विमिंग पूल बना देते हैं
रंग मंच के मुझे खिलाड़ी,
अभिनय में इतने माहिर, अपनी बात मनवाने को अमिताभ बच्चन बन जाते हैं
कितने प्यारे, कितने सुन्दर,
जग से न्यारे, दो अनमोल रतन
पास हमारे
