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Ajay Rajpoot

Abstract Tragedy

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Ajay Rajpoot

Abstract Tragedy

अन्नदाता भी तू भूखा भी है तू

अन्नदाता भी तू भूखा भी है तू

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अन्नदाता भी तू भूखा भी है तू

ये कैसी विडम्बना है

अनपढ़ गंवार कहलाता भी है तू


तन पर वस्त्र है फटे

तन पर जख्म है गहरे

ये कैसी बेबसी है

फिर भी मुस्कराता भी है तू


बाढ़ भी आए नुकसान तेरा है

सूखा भी आए नुकसान तेरा है

ये कैसी लाचारी है

कभी भी ना उठ पाए है तू


सरकारें बनती है सरकारें बिगड़ती है

वादे होते है पर कुछ ना होता है

ये कैसी आज़ादी है

घुट घुट के मरता है तू


नसीब भी तेरा बदनसीब है बना

पैदावार अच्छी हो तो भी रेट कम है मिला

ये कैसी तेरी शामत आई है

अपने खून को भी पिया है तू


तंगहाली भी है बदहाली भी है

रोज रोज हो रही आत्महत्याएं है

ये कैसी घड़ी आई है

अपने परिवार को भी मारता है तू


अन्नदाता भी तू भूखा भी है तू।


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