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Ms. Nikita

Tragedy Inspirational Others

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Ms. Nikita

Tragedy Inspirational Others

आंतरिक अंतर

आंतरिक अंतर

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बाहर कुछ और

अंदर कुछ और

क्यों मानव

इतना ललायित है

मुंह में राम

बगल में छुरी

ऐसी भी

क्या शामत आई है

कहाँ गया

इसका वो बांकपन

जिसका चहूं ओर 

बोलबाला था

न कोई होगा

न ही कोई

उसके जैसा

निराला था

अब आशा

उसकी खोई है

और निराशा की

युक्ति संंजोई है

आ गया है

खोट मानव के

आंतरिक अंतर में

तथैव उसने 

सबसे सम्मान को

नोचा है॥ 


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