देश बदलने लगा है
देश बदलने लगा है
ख्वाहिशों के शहर में
अमावस की रातें ठहरने लगी हैं
सड़के और गलियां भी
दहशत मेें रहने लगी हैं
भय सेे परेे जो भय है
उन्मुुुुुुक्त विचरने लगा हैं
देश की शान तिरंगे का
अब रंंग उतरने लगा हैं
कड़वाहटो का बाजार भी
अब पांव पसारने लगा हैं
नदियों के इस देश में
खारा समंदर बहने लगा हैं
भाईचारा बंद किताबो में
कोई पीठ मेंं खंजर घोंप रहा हैं
कट्टरता के इस खेल में
इंसानियत का दम निकल रहा हैं
भारत माँ की संतानों का
रक्त क्यों बहने लगा हैं
उम्मीदो से परे अब
देश बदलने लगा है।