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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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मौसम का रंग

मौसम का रंग

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मौसम का रंग

हवा सी आँख

उम्मीद सी आवाज

लहर से विचार

गन्ध सी देह


चाहत सी बाँहें

उत्साह से लहराते हुये बाल

कल्पबृक्ष सा आँचल

जिंदगी है या खुदा का घर

कोई कहाँ जाये जिंदगी


तुम्हारी आकर्षण की शक्ति से

उलझकर

कोई कहाँ जाये

रस बरसती चांदनी से दूर।


हम तो सदियों से तुम्हारे थे

और रहेंगे तुममें सदियों तक।

नया प्रेम है

हमारा तुमसे


तुम्हारा हमसे

शास्त्र भी है

शस्त्र भी है

एक दम आधुनिक।


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