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मैं घर के अपने कमरे में छोड़ आई थी, कुछ किताबें और मैं घर के अपने कमरे में छोड़ आई थी, कुछ किताबें और
बचपन में दादी समझाती थी अन्न बर्बाद नही करते पाप लगता है! बचपन में दादी समझाती थी अन्न बर्बाद नही करते पाप लगता है!
जब घने पेड़ ही नहीं रहे तब उनकी शाखों पर कलरव करते हुए पंछियों की क्या बात करें जब घने पेड़ ही नहीं रहे तब उनकी शाखों पर कलरव करते हुए पंछियों की क्या बात...
आज जब घर में रहने का मौका मिला, तो मन नहीं लग रहा। आज जब घर में रहने का मौका मिला, तो मन नहीं लग रहा।
वृक्षों के पीछे से लपकती झपकती सुनहरी किरणें हाथ में मसाला चाय! वृक्षों के पीछे से लपकती झपकती सुनहरी किरणें हाथ में मसाला चाय!
चलती रहो धीरे-धीरे, ये जीवन है दौड़ नहीं. हर पल की कीमत को जानो, कहीं इस का मोड़ नही चलती रहो धीरे-धीरे, ये जीवन है दौड़ नहीं. हर पल की कीमत को जानो, कहीं इ...
बच्चे बड़े हो कर परवाज़ भर जाते हैं. मीठे वादे, शरारती यादें सब घर में ही छोड़ जाते है बच्चे बड़े हो कर परवाज़ भर जाते हैं. मीठे वादे, शरारती यादें सब घर में ही छोड...