'रिश्ते - नाते '
'रिश्ते - नाते '
हम जिन्दगी में बहुत से
लोगों से मिलते हैं,
कितनों को हमारा नाम याद रहता है
रहता भी है तो?
नाम से जुड़ी छोटी छोटी बातें
कौन याद रखता है
जब बड़े परिवारों का बोल बाला था
सारे रिश्तों की अहमियत थी
बुजुर्गो के होते हुए घर के दरवाजे कभी बंद नहीं होते थे
उनके होते हुए घर का कोई मसला दहलीज़ लांघ पाता भी
तो कैसे?
जब घने पेड़ ही नहीं रहे
तब उनकी शाखों पर कलरव
करते हुए पंछियों की क्या बात करें
हमारे व्रत, परम्परायें बार बार
रिश्तों की याद दिलाती हैं
कोशिश तो करिये सुनने की रिश्तों का उत्सव मनाये
कड़ियां जुड़ी रहेंगी
रिश्ते और पौधे दोनों की
देखभाल करके बड़ा किया जाता है
दोनों की छांव घनेरी होती है
रिश्ते कायम रहें खूब फलें फूलें ।
