अन्नदाता
अन्नदाता
हम अपने लिए दिवारों की हदें और
छत बना कर दूसरे कामों में व्यस्त हो जाते हैं
किसान कैसे खड़ी करे हदों की दीवारें?
अपने खेतों पर कौन सी
'तिरपाल ' तान दे कि .......
उसकी साल भर की मेहनत बची रहे
बचपन में दादी समझाती थी
अन्न बर्बाद नही करते
पाप लगता है
वो क्या जानती थी कि एक दिन
अन्नदाता के हालात ऐसे होगें
अन्नदाता की महानता किसी को
याद नही
जो हमारे लिए भोजन जुटाता है उस के बंगले नही बनते
छुट्टियों का सुख भी उसकी
किस्मत में नही
जिसे 'हिमालय ' सा विशाल
मान मिलना चाहिए
वो हमे कहीं खड़ा भी दिखाई नही देता
हम क्यों इतने नाशुक्रे हैं?
