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Govind Narayan Sharma

Romance

4  

Govind Narayan Sharma

Romance

तन्हाईयाँ

तन्हाईयाँ

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"तन्हाईयाँ"शौक से मोहब्बत किसी इश्कजादे से करिये,

तलबगार हैं थोड़ी यारी हम से अत्ता करिये! 

खूब तन्हा है जहां में इश्क बेशुमार कीजिये, 

यूँ अकेले तन्हा रहने की खता भी न करिये! 

हमसफर मन माफिक दिलबर को कीजिये,

ख्वाबों में सबके दखलअंदाज़ी भी न करिये!

रात भर तन्हाइयो में चाँद निहारा न कीजिये,

हुजरे में बुला मिलन को तरसाया न कीजिये ! 

खुदगर्जी की फरेबी इश्कबाजी नही कीजिये,

पराये दर्द पर मरहम की गुस्ताखी तो करिये!

अपनी हसीन अदाओ का सितम न कीजिये,

तलबगारों का कत्ल बे-रहमी से न कीजिये !

आशिकों को ख्वामख्वाह रुसवां न कीजिये,

मयत बाद जन्नतनशीं हो नेक दुआ कीजिये !


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