एक कोने में दिल के
एक कोने में दिल के
एक कोने में दिल के एक आस है दिल को
कहीं न कहीं एक प्यास है दिल को
कि झाँक ले कोई दरारों में दिल की
कोई इंतजार में खड़ा मिले कगारों पे दिल की
बेइंतहा करूं मैं खुदको बेसबर मगर
किसी मंजिल के नाम हो दिल की यह डगर
भीतर अगन लगे जो किसी लगन की
सवाली साँवली सूरत मन की
दिल की हसरतों पे दिल के हजारों सवाल
फिर जवाबों पे सवाल यह हर रोज का बवाल
अपनी ही कैद में दिल घुटता है कभी
संभलते संभालते खुद को खुद से टूटता है कभी
जैसे कोई सितारा आसमाँ से टूट चूका है
तन्हाई के हाथों दिल यह नादान लुट चूका है
जज्बातों की आरी से फिर कट जाता दिल।