सीमा रेखा
सीमा रेखा
क्या तुम अंतरिक्ष हो
मेरे भीतर के,
जिसमें गुम हूँ मैं
अपने आप से भी गुमशुदा
या बाहर हो मेरे
चारों ओर फैले हुए अंतरिक्ष
साफ नीले हो या कई रंग समेटे हुए
तुम्हारे पार कुछ भी नहीं
ना देखने जैसा
ना छूने जैसा
महसूस करना चाहती हूँ
अनंत और शून्य दोनो साथ साथ!
तुम्हारे पार जाने की कोशिश को-
मेरे भीतर के ब्रम्हांड का गुरुत्वाकर्षण
खींच लेता है
गुरुत्वाकर्षण तो पृथ्वी का होता है ना..
सबसे मज़बूत
तो मेरे अंदर के तुम का आकर्षण
गुरुतर ही होगा,
या शायद तुम
सीमा रेखा हो मेरे मन की!!