STORYMIRROR

Dr. Saroj Acharya

Romance

4  

Dr. Saroj Acharya

Romance

वो खत

वो खत

1 min
210

चिन्दी चिन्दी हुआ एक ख़त

कई टुकड़े

अक्षर अधूरे

कहीं मैं

कहीं तुम

कहीं मेरे कहीं तुम्हारे

प्यार भी था लिखा किसी टुकड़े पर

और कुछ टुकड़ों में कुछ यादें..

संभाल रखी थी

ख़त पाने वाले ने,

जर्जर , पुरानी, ज़र्द पड़ी हुई

बेवज़ह यादें,

ख़त भेजने वाला भूल भी गया होगा.

क्रोध के आवेश में फाड़ तो दिया

पर टुकड़े संभाल लिए..ख़त के..यादों के,

ढ़ूढती रहती हूँ वो एक टुकड़ा

जिस पर लिखा था

बहुत प्यार के साथ

*तुम्हारा*


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance