वो खत
वो खत
चिन्दी चिन्दी हुआ एक ख़त
कई टुकड़े
अक्षर अधूरे
कहीं मैं
कहीं तुम
कहीं मेरे कहीं तुम्हारे
प्यार भी था लिखा किसी टुकड़े पर
और कुछ टुकड़ों में कुछ यादें..
संभाल रखी थी
ख़त पाने वाले ने,
जर्जर , पुरानी, ज़र्द पड़ी हुई
बेवज़ह यादें,
ख़त भेजने वाला भूल भी गया होगा.
क्रोध के आवेश में फाड़ तो दिया
पर टुकड़े संभाल लिए..ख़त के..यादों के,
ढ़ूढती रहती हूँ वो एक टुकड़ा
जिस पर लिखा था
बहुत प्यार के साथ
*तुम्हारा*

