जंगल
जंगल
जिंदगी के जंगल से गुज़रे हम
कुछ एहसासों की नरम
टहनियों ने सहलाया..
कुछ ने खराशें भी दीं
जो आज भी सालती है!
कुछ एहसासों के पत्ते
ज़हरीले भी थे
जलन दे गए उम्र भर को।
पर फिर भी
जंगल ख़ूबसूरत है
कई उलझनों के राज़ छुपाये
कई सूखी सी पड़ी उम्मीदों
के दरख़्त थामे।
हम गुज़र रहें है
या ये वक्त
नहीं मालूम
किसी थके से पत्थर पर बैठ कर
चढ़ी हुयी सांसों से पूछेंगे!