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Dr. Saroj Acharya

Romance

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Dr. Saroj Acharya

Romance

बेनाम रिश्ता

बेनाम रिश्ता

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जानते तो हैं

इस रिश्ते की उम्र नहीं, नाम नहीं

मुक़ाम नहीं मंजिल भी नहीं

फिर भी

धीरे धीरे सुलगता है


तपता भी है कभी

जब हम न होंगे

तुम्हें दे जायेंगे ये

आंच,

ठंडी होती उम्र और ख्वाहिशों को

धीरे धीरे तापना


और उस तपिश में

आँखों से मुस्कुराना

और दिल से सोचना

वो थी न बस !


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