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Sajida Akram

Romance

4  

Sajida Akram

Romance

ज़हन

ज़हन

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ज़हन में तेरा दख़ल

कुछ यूँ बढ़ गया है।


तेरी जुस्तुजू तेरी आरज़ू, 

तेरा वजूद हर सिमत है। 


ज़हन में तेरा दख़ल 

कुछ यूँ बढ़ गया है।


तू मेरे साथ हो या ना हो

तेरी मोजूदगी का अहसास

हर लम्हा शामिल है।


जहाँ भी रहूँ मै तेरा अक्स

हर लम्हा आंखों में बस सा गया है।


ज़हन में तेरा दख़ल

कुछ यूँ बढ़ गया है।


तू मेरी रूह में बाबस्त है

यूं महसूस होता है, 

जैसे दो जिस्म एक जां है

ज़हन में तेरा दख़ल

कुछ यूँ बढ़ गया है।


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