मैं तुम्हें टूटने नहीं दूँगी
मैं तुम्हें टूटने नहीं दूँगी
कविता का कवि से वादा
तुम भाव बनकर बहते रहो
घाव हो,
सहकर कहते रहो।
हर एक शब्द में तुम्हारे
ओज भर दूँगी
वादा है ये कविता का
कवि से
मैं तुम्हें टूटने नहीं दूँगी।
थक जाओ तो रूक कर चलना
गिर जाओ तो उठकर चलना
मेले हो या अकेले हो
हरपल हँस कर चलना।
मैं तुम्हारे कदमों में
जोश भर दूँगी
वादा है कविता का
कवि से
मैं तुम्हें रुकने नहीं दूँगी।
जिम्मेदारियों का बोझ लिए
कभी खुद के लिए
कभी औरों के लिए
जूझते रहना जिंदगी से।
मैं संघर्षों में
रोष भर दूँगी
वादा है कविता का
कवि से
मैं कंधे झुकने नहीं दूँगी।
पंखों में परवाज भर लो
शब्दों में आवाज भर लो
करो विश्वास
कदमों में आकाश कर लो।
मैं पंखों में
नई जान भर दूँगी
वादा है कविता का
कवि से
मैं तुम्हें गिरने नहीं दूँगी।