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Sachin Kapoor

Abstract

4.7  

Sachin Kapoor

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तूफ़ान

तूफ़ान

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कुछ बातों को यूं कल पर टाला नहीं जाता, 

परेशानियों में अपनो को डाला नहीं जाता। 


कह दे कोई राज जो अपना समझ कर, 

उन बातों को बाजार में उछाला नहीं जाता। 


कुछ कचोट रहा हो मन को, कर दो जाहिर, 

जख़्मों को नासूर बनाकर पाला नहीं जाता। 


कुछ तो है अनकहा सा तेरी आँखों में,

कोई कांटा है जो निकाला नहीं जाता।


एक खामोशी है चेहरे पर, जो शोर मचाती है,

एक तूफान है अंदर, जो सम्हाला नहीं जाता।


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