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क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

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धडकनों में हमारी

धड़कते हो तुम

जलते अंगारों से

धधकते हो तुम


भूत पिशाच निशाचर से

छाए रहते हो दिलोदिमाग पर

जोंक सी लिपटी है यादे तुम्हारी

पढ़ती हूं कलमा तुम्हारे नाम का


मंत्रों सा करती हूं उच्चारण

कब्जे में हूं तुम्हारी

फड़फड़ाती हूं घायल पंछी सी

भरती हूं ऊंची उड़ान आसमान में

पर लौटती हूं धरा पर

नाम तुम्हारा लेकर


खत्म हो जाती है मेरी चाहत

दर तक तुम्हारे आकर

लहूलुहान हो गए हैं पंख मेरे

लड़खड़ाकर गिरती हूं तेरे दर तक

सिवाय तेरे कुछ रास आता नहीं

सुलगता है मन तरस तुम्हे आता नहीं


तड़पती हूं मैं दिन रात

क्या जाने किस चीज की है प्यास

अनजाना इकरार किए जाती हूं मैं

अपने आपसे लड़ती रहती हूं मैं


साथ तुम्हारा पाने को तरसती हूं मैं

क्या यही प्यार है, क्यों झुलसती हूं मैं

सहमा सहमा सा रहता हैं मन मेरा

चैन न एक पल भी आता है

कैसे संभालू मै दिलको अपने

बिन तुम्हारे न कहीं लगता है


उदास हूं गमगीन में

सब कुछ है पर लगता है खाली हूं मैं

बिन तेरे अधुरी हूँ मैं

प्यार का नाम सुना था पर

एहसास अभी हुआ

सूरत जबसे देखी तुम्हारी।


हाल दिल का अजब हो गया

हो सके तो निकालो वक्त हमारे लिए

प्यार का मतलब समझाओ मुझे

अजीब बीमारी लग गई।


आफत जान पर बन गई

खोया खोया सपने में रहना

दिल को न अब सुहाता है

आ भी जाओ अभी मिलने को

जान तड़पती है।


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