STORYMIRROR

नई दिशाएँ

नई दिशाएँ

1 min
653


चल रहे सम्बन्ध पर क्यों भुनभुनाएँ ?

है यही बेहतर नया रिश्ता बनाएँ।


बाजुओं में बादलों को तोलकर,

नाचता हो मोर पंख खोलकर,

क्यूँ उकेरे वो पुरानी कल्पनाएँ ?

है यही बेहतर नया रिश्ता बनाएँ।


टूटते विश्वास पाते घात हैं,

फिर भी अधरों पर मुस्कान लाएँ,

सैकड़ों बार टूटते देखे कई घरौंदे,

हम चलो फिर नया एक घर बनाएँ।


चल रहे सम्बन्ध पर क्यों भुनभुनाएँ ?

है यही बेहतर नया रिश्ता बनाएँ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational