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purushottam singh

Romance

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purushottam singh

Romance

तुम थी, तुम हो

तुम थी, तुम हो

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हर पल तुमको चाहा,

पल पल तुमको माँग लिया,

तुम साथ नहीं फिर भी,

हर साँस में तुमको याद किया।


तुम ऐसे बसी हो मुझ में,

जैसे कृष्ण बसे थे मीरा में,

सूरज के किरणों संग तुमको खोया,

चाँद की चाँदनी संग तुमको पाया।


टूटते तारों के संग,

तुमको ही सबसे पहले माँग लिया,

प्यार करती नहीं हो तुम सपनों में भी,

ऐसा क्या मैंने अपराध किया।


हर पल तुमको चाहा,

पल पल तुमको याद किया,

हर गीत में तुमको गाया.

हर शब्द में तुमको ही जीया।


तेरे साथ नहीं होने से,

कैसे बताऊँ क्या खोया, क्या पाया,

तुम मुझमे ऐसे बस रही हो,

जैसे एक पगले भक्त ने

प्रभु को ही सीने में बसाया।


हर पल तुमको चाहा,

पल पल तुमको माँग लिया,

हाँ, तेरे नाम को हरदम,

चूम लिया, चूम लिया।।


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