बीती रात कमल दल फूले
बीती रात कमल दल फूले
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तरुवर की
कोमल शाखों पर
चपल विहंगों के
शिशु झूले।
बीती रात
कमल - दल फूले ।।
विहँस रहे फूलों पर
सतरंगी तितली
पंख हिलाती आयी
गुनगुन करते
भँवरों को देखो
फिर खिलती
कलियों की
सुधि आयी।
परियों ने
किरणों की
फिर अपने सोने से
स्निग्ध पंख खोले
रजनी है विदा हुई
चपल विहग बोले।
अँधियारे के मुख पर
रश्मि जाल का घूँघट
खोल दिया सूरज ने
द्वार रात के घर का
निकल पड़े बाहर
सब तारे ज्यों बच्चे
किरणों के हाथ थाम
भाग चले
चाह रहे
दूर क्षितिज को छू लें।
बीती रात
कमल - दल फूले ।।