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Uma Shankar Shukla

Others

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Uma Shankar Shukla

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विधा गीतिका

विधा गीतिका

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छन्द लय ताल से नित विधा गीतिका ।

कर रही है प्रफुल्लित विधा गीतिका ।।


भाव-रस शिल्प - सौन्दर्य आनन्द के -

युग्म से है विभूषित विधा गीतिका ।


रूप - रस - छन्द गरिमामयी भाव हैं,

हर  अलंकार पूरित  विधा गीतिका।


नित नए काव्य - रस की सुधा से धरा ,

कर रही आज प्लावित विधा गीतिका।।


आन की, बान की, मान - सम्मान की ,

है ये' पहचान गर्वित विधा गीतिका ।


हो रही हर तरफ काव्य के कुञ्ज में ,

पल्लवित और पुष्पित विधा गीतिका ।


लेखनी की  सतत  साधना  से हुई ,

सप्त सुर से सुसज्जित विधा गीतिका ।


छेड़कर  तान  वीणा की' माँ शारदे ,

कीजिए हृद्निनादित विधा गीतिका ।


सीख देती सदा सत्य की, न्याय की,

सार्थक  सारगर्भित  विधा  गीतिका।


हर तरफ ज्ञान की ज्योति को एक दिन, 

जगमगाएगी निश्चित  विधा गीतिका ।


नव - सृजन का कलेवर लिए बहुमुखी 

है शिखर पर सुशोभित विधा गीतिका ।


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