होली
होली
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पिचकारी ने की मनमानी, होली में।
प्रेम - रंग का बरसा पानी, होली में।।
अम्बर-सा छा गया गुलाल अबीरों से,
घूँघट ओढ़ धरा इठलानी, होली में।
फाग गीत मचली फागुन के अधरों पर,
सुबह - दोपहर - शाम सुहानी, होली में।
रंग पर्व में बचपन - यौवन का नर्तन,
वृद्धों में आ गयी जवानी, होली में।
सहिष्णुता- सद्भाव- प्रेम रस से भीगी,
भारत माँ की चूनर धानी, होली में।
द्वेष भाव को त्याग मिल रहे गले सभी,
जाग उठी पहचान पुरानी, होली में।
जाति धर्म भाषा चाहे हों अलग-अलग,
मन से सब हैं हिन्दुस्तानी, होली में।