डोर
डोर
यह जीवन एक प्यारी नदी सी है,
और तुम इस नदी की नाव की तरह !
इसके माँझी भी तुम, पतवार भी तुम,
इस नैय्या के अकेले चलैया की तरह !
कब आँधी आ जाए, कब तूफान आ जाए,
इससे बेख़बर एक राहगीर की तरह !
इसकी गहराइयों का कुछ पता नहीं,
डूबती हुई नौका की तरह !
इसके किनारों का तुझको कुछ अंदाज़ा नहीं,
किनारे की आस लगाए एक माँझी की तरह !
इस जीवन की अदभुत कहानी,
जल है गहरा और नाव है पुरानी !
बीच भँवर मे ही लाकर डुबोती है,
एक अन्मिट अविचल निशानी की तरह !
कोई डूबा कोई पार हुआ ,
एक लड़खड़ाती हुई नैया की तरह !
जो डूबा यहाँ वो गया है कहाँ,
ना जान पानेवाले भविष्य की तरह !
हमे नचाता कोई हम नाचते यहाँ,
उंगली मे बँधे कठपुतली की तरह !
इस जीवन का कोई भरोसा नहीं ,
कब हो जाएगा क्या ये अंदाज़ा नहीं !
फिर भी जीवन को जी भर के जीते है लोग,
दिल से दी गई दुआ की तरह !
यह कहानी मेरी यह कहानी तेरी,
हर किसी की बनती है कहानी यही !
यही अंत है मेरा, यही अंत है तेरा,
इस पर चलता नहीं किसी का ज़ोर !
एक आशा सी है, कहीं निराशा भी है,
फिर भी जीवन को जीना, एक कला की तरह !