कांटे बिछा रहे सब, पर चुन रहा न कोई संसार में किसी की अब सुन रहा न कोई! कांटे बिछा रहे सब, पर चुन रहा न कोई संसार में किसी की अब सुन रहा न कोई!
जो भी है मन का भ्रम है विश्वास है अविश्वास भी है। जो भी है मन का भ्रम है विश्वास है अविश्वास भी है।
टूटने के बाद मैं कभी, जुड़ नहीं पाऊँगी। इन्हीं टुकड़ों में अंत तक, रह जाऊँगी। टूटने के बाद मैं कभी, जुड़ नहीं पाऊँगी। इन्हीं टुकड़ों में अंत तक, रह जाऊँगी।
कागज-कलम मेरे हाथों में देकर, कर दो बाबा, मेरे उज्जवल जीवन का शगुन...! कागज-कलम मेरे हाथों में देकर, कर दो बाबा, मेरे उज्जवल जीवन का शगुन...!
ताल तलैया, नहर, सागर को अपने भेजे शगुन की आस ताल तलैया, नहर, सागर को अपने भेजे शगुन की आस
क्या जानूँ प्रेम कहानी लिखे जो पन्नों पर टूटी कलम पहले थी क्या जानूँ प्रेम कहानी लिखे जो पन्नों पर टूटी कलम पहले थी