"चिलचिलाती गर्मी"
"चिलचिलाती गर्मी"

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चिलचिलाती धूप को, वर्षा की नन्ही नन्ही बूँदों की चाह,
डाल, पात, पुष्प-पुष्पित हो, बूँदों संग इठलाने की चाह
सूख़ी, बेजान, रूख़ी, धूल-धूसरित, दरार फूटती मिट्टी को
अपनी सौंधी- सौंधी खुशबू से बहार महकाने की चाह
आम की टिकोली, धूप की रानी बनी झूम-झूम इतराती,
इन अधरों को, खट्टेपन को, मीठी कण-कण की चाह
ताल तलैया, नहर, सागर को अपने भेजे शगुन की आस
कब लौटेगी झमाझम गीत संगीत संग, सौगात की चाह
मनु, मानुष, ज़न, पशु-पक्षी को उज़ाले में होती रात को
पावस दिन, ठंड भरी शाम, अंधेरी होती रात की चाह।