STORYMIRROR

Swati ankan

Inspirational Others

4  

Swati ankan

Inspirational Others

आरज़ू

आरज़ू

1 min
374

आरजू एक ख्वाब की थी कहानी बनती गई,

आरजू एक चाहत की थी जिंदगानी बन गई।


गम के साये पहलू में आकर यूँ बैठे हैं मानो,

मेरी हर जुस्तजू जमाने में नादानी बन गई।


मनोभाव पढ़ते पढ़ते मुझे अनपढ़ी रास आई,

हर अधूरी ख्वाहिश के बदले जहानी बन गई।


सँभाले सँभले खुद को ही अब संवारते कट रही,

अपना मान लुटाते गए लोगों में दानी बन गई। 


किस्मत का रोना ले हकीकत को मना लेती रही,

मीठे एहसास का कारवाँ था जो रवानी बन गई।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational