शहीद बेटा
शहीद बेटा


पीपल के छाँव, पोख़र के ठाँव,मेरे गाँव को कहना,
माँ भारती के लिए बाप के कंधो का भार बना।
अगले जन्म मात-पिता ऋण चुकाने फ़िर आऊंगा,
बुढापे की लाठी बन, मुक्ति दिलाने फ़िर आऊंगा।
बहन की राख़ी,चूड़े की लाज़ रखने फ़िर आऊंगा
अकेला भाई के बोझ को कम करने फ़िरआऊंगा
अब किस बेटे को नकारा कह झूठा ही कोसूंगा,
बूढी माँ की आँखें किसकी राह पल -पल तकेगीं।
छाती चौड़ी चौपाल पे कर, पिता का अन्तर्मन रोया,
लाल मेरा पीठ दिखाकर गया, सीना तान कर आया।
गाँव की किसानी छोड़, सरहद पर मिटने गया,
माँ की ममता छोड़, भारत माँ की गोद सोया।
यारों मत रोना, इस माँ की गोद भी बड़ी निराली,
जो सोया,शहीद,वीर,बलिदानी बेटा कहलाया।