जिंदगी पे जिल्द
जिंदगी पे जिल्द

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रोज रोज जीने के लिए , जिन्दगी पे जिल्द न लगाया करो,
मेरे पढ़ने लिखने के मशहूर शौक , को यूँ न सताया करो।
गुलशन के खिदमतगार ही, गुलफाम के हिमायती होते हैं,
वीराने में बहार के झूठे रंग चढ़ा ,यूँ दिल्लगी न किया करो।
अपनी मसरूफ़ियत को बेजानों में डाल,अपनी की तौहिन करते हैं,
मोम के पुतले सा प्राण पाने की बैचेनी को ,यूँ दबाया न करो।
हकीकत की नुमाइश , कागजी कला में दिखायी जाती है,
शुकराने की नेमत को,जनाजे का इंतजार यूँ न कराया करो।