प्रीत
प्रीत
प्रीत को सहारा मिला वो समंदर बन गया।
धैर्य को बोझ मिला वो पत्थर बन गया।
कर्म को उपदेश मिला वो हार बन गया।
पाप को दुराचारी मिला वो सहचर बन गया।
पुण्य को सदाचारी मिला वो राहगीर बन गया।
पाखंड मौका मिला वो जानकार बन गया।
अहम को वहम मिला वो पालनहार बन गया।
विपरीत को विराम मिला वो कायर बन गया।
संघर्ष को जीवनव्रत मिला वो शायर बन गया।
आँसू को जल रूप मिला वो निराधार बन गया।
