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Swati ankan

Others

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सावन रुत

सावन रुत

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हरियाली भरी रिमझिम,झर-झर सावन रुत आई,

मीठी,सौंधी फुहारे चितवन को महकाती इठलाई।


प्रकृति के सोलह श्रृंगार की बेला है आई अब,

रवि रश्मि के सुनहरी छटा से शर्माती तरूणाई।


आँगन,उपवन सजे झूले ,नये मेहमान की बारी,

हर ओर गुंजित ,गीत -संगीत संग,मेंहदी रंग लाई।


धरा-अंबर,मठ-मंदिर, जन -जन के उर में समाए,

अगवानी में सजी-धजी धरा पे,शिव की पुकारआई।


राखी का संदेश,प्रिय की पाती मंद - मंद हर्षाती ,

जब चली पायल सी छुम- छुम मीठी पवन पुरवाई।


खेतों में खड़ी फसल तन- मन से पुलकित हो,

सावन की पहली बारिश में झूम-झूम नहलाई।


पके आम की महक, बदलते अंबर की लहक,

हरी चुनरी ओढ़ वंसुधरा ने ली,हौले से अंगड़ाई।



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