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Swati ankan

Inspirational Others

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Swati ankan

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वर्तमान वतन

वर्तमान वतन

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वर्तमान वतन जाग, अतीत को पा रहा,

सदियों से अपनी अक्स को खोज रहा,

गरिमामयी इतिहास से अपरिचित रहा,

हमारा हिन्दुस्तान अब तक कहाँ रहा....


आक्रांताओं ने जो लिखा सबको सच माना,

भोले-भाले को पग-पग छला, सबने माना,

राम-कृष्ण, विवेकानंद की पावनी धरा को,

पुरातनी संस्कृति को, मुट्ठीभर लुटेरों ने जाना,

जब, उनकी मूढ़ता को हमने भी तब पहचाना....


बाबर-अकबर, कलाइव-मैकाले, मिंटो का कलंकित, 

अध्याय निष्कलंक बता, क्षण-क्षण हुआ सशंकित,

सांगा-शिवाजी, शहीद भगत, को कायर-असभ्य कह,

फ़टेहालों ने अपनी शीलता से किया, हमें चकित,

उपद्रवी आखिर कब तक, विश्व गुरु से रहते वर्जित...


अपनी हर रज़ा को पाने को आतुर हम,

नयी पौध लहलहाने के काबिल हैं हम,

रामराज्य के पुजारी रहे, प्रताप के वंशज,

छेड़ा तो हर भाषा के जवाब से वाकिफ़ हम,

गीता वाच कर चाँद पर जाने को तैयार हम....



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