भ्रम संभ्रम
भ्रम संभ्रम
जो भी है
मन का भ्रम है
विश्वास है
अविश्वास भी है
ये सब मनका ही
खेल है !
मन को जो भी भाये
लगता है सुकून
मन को जो न भाये
लगता है अपशकून!
रखो खुदपे भरोसा
काबूमे रखो ये मन
अंधेरा भी है
उजाला भी है
सारे शगुन दुर्गुन
होते है मनघरंत
ऐसा कुछभी
नहीं होता
सब संभ्रम है !
