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Suresh Kulkarni

Inspirational

4  

Suresh Kulkarni

Inspirational

भ्रम संभ्रम

भ्रम संभ्रम

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जो भी है

मन का भ्रम है


विश्वास है

अविश्वास भी है


ये सब मनका ही

खेल है !


मन को जो भी भाये

लगता है सुकून


मन को जो न भाये

लगता है अपशकून! 


रखो खुदपे भरोसा

काबूमे रखो ये मन


अंधेरा भी है

उजाला भी है


सारे शगुन दुर्गुन

होते है मनघरंत


ऐसा कुछभी

नहीं होता 

सब संभ्रम है !



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