स्त्री
स्त्री


वो स्त्री ही है जो पर्दे के पीछे रह कर अपने दुःखों को छिपाती है
वो स्त्री है जो अपनो की खुशियो के लिए अपने सपनो को दबाती है।
वो स्त्री ही है, जो खुद अग्निपरीक्षा दे कर सबको शांत रहना सिखाती है
वो स्त्री ही है,जो अपने अरमानो को मन मे कैद रखती है।