जिंदगी का खेल
जिंदगी का खेल
कैसा खेल है जिंदगी
हँसते-हँसते रुलाती है
तो रोते-रोते हँसाती है
पल-भर मे राजा को रंक
और रंक को राजा बनाती है
हर तरह के पड़ाव से हमारा सामना कराती है
अच्छे-बुरे की पहचान हमे जिंदगी ही कराती है
मुशिकलों से सामना करना हमे जिंदगी ही सिखाती है
लक्ष्य की राह को आसान बनाना भी हमे जिंदगी ही सिखाती है।