Shubhi Agarwal
Action Inspirational Others
यादों के सहारे जीना सीखा है हमने
गमों में भी मुस्कुराना सीखा है हमने
कोई चाहे समझे या ना समझे हमें
पर ना जाने क्यूँ, सबको
अपना जैसा समझने की हमेशा भूल की हमने ।
जिंदगी का खेल
जिंदगी की पहल...
हर कोई एक सा ...
जिम्मेदारियां
माँ शक्ति
क़लम की जुबा
स्त्री
स्त्री होना आ...
मोहब्बत
रंग भेद
कर बुलंद आवाज, रहे वो सारा जीवन। कर बुलंद आवाज, रहे वो सारा जीवन।
कभी उसपर सितारे बिखर जाते हैं, कभी चाँद निकल आता है, कभी उसपर सितारे बिखर जाते हैं, कभी चाँद निकल आता है,
मोह-माया में ये फिसलती, हृदय से चलती सांस सभी।। मोह-माया में ये फिसलती, हृदय से चलती सांस सभी।।
अगर वो भी तेरी हो गई तो मैं खुद मुंह मोड़ लूंगी अगर वो भी तेरी हो गई तो मैं खुद मुंह मोड़ लूंगी
संग पुरुषों के खड़ी हैं। हर तरफ कंधा मिलाकर। संग पुरुषों के खड़ी हैं। हर तरफ कंधा मिलाकर।
सरताज ये भारत का जन जन में पहचान है सरताज ये भारत का जन जन में पहचान है
सुख चैन की वर्षा बरसे, सुन्दर भारत नाम सुहाये। सुख चैन की वर्षा बरसे, सुन्दर भारत नाम सुहाये।
खुशियों के रंगों में रंगे हुए ज़माने होते हैं.. खुशियों के रंगों में रंगे हुए ज़माने होते हैं..
कभी ये मत समझना हम आपको भूल जायेंगे, जिंदगी भर साथ चलने का वादा है आपसे। कभी ये मत समझना हम आपको भूल जायेंगे, जिंदगी भर साथ चलने का वादा है आपसे।
सभी भाषा संस्कृति का हो बढ़ावा सभी धर्मों का करो सम्मान सभी भाषा संस्कृति का हो बढ़ावा सभी धर्मों का करो सम्मान
मानवता का मसीहा वक्त की ख़ास खासियत पहचान मानवता का मसीहा वक्त की ख़ास खासियत पहचान
मेरे अधूरे ख़्वाब, मेरे जज्बात मरना नहीं, जिन्दा रहो मेरे अधूरे ख़्वाब, मेरे जज्बात मरना नहीं, जिन्दा रहो
ग्यारह लगेंगे , खिलाड़ी क्रिकेट के अनुसार , ग्यारह लगेंगे , खिलाड़ी क्रिकेट के अनुसार ,
ये शाम सुबह की झक झक हो या मन की मिथ्या सोच सही ये शाम सुबह की झक झक हो या मन की मिथ्या सोच सही
सच में तो ये सोये सारे जब उसने बरबादी कर दी सच में तो ये सोये सारे जब उसने बरबादी कर दी
कशिश कभी कोई जान भी ले लेती है कोशिश कभी कोई मान भी ले लेती है कशिश कभी कोई जान भी ले लेती है कोशिश कभी कोई मान भी ले लेती है
मैं हिचकियों से तेरी शामों को फिर आबाद करता हूँ।। मैं हिचकियों से तेरी शामों को फिर आबाद करता हूँ।।
सुमेर सिंह आर्य संस्थान ने ठाना है, अपना भारतवर्ष शिक्षित बनाना है। सुमेर सिंह आर्य संस्थान ने ठाना है, अपना भारतवर्ष शिक्षित बनाना है।
सदा रहता मुस्तैद, बचाता शत्रु से सरहद। सदा रहता मुस्तैद, बचाता शत्रु से सरहद।
हम तो जहरीले बन चुके हैं अपनी ही कौम को खा रहे पशु पक्षी पेड़ पौधों को , खनिज संपत्ति को नष्ट कर रहे... हम तो जहरीले बन चुके हैं अपनी ही कौम को खा रहे पशु पक्षी पेड़ पौधों को , खनिज सं...