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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Others

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Others

घर से थे चले

घर से थे चले

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घर से चले थे, दोस्त के घर तक,

मिले थे कितने, लोग इस राह में।

कितनों ने पूछा, हाल अपना तो,

बहुत से मिले मित्रवत, चाह में।।


घर से चले थे, मिलने किसी से,

पहुंच गये तब, शिव भोले के द्वार।

प्रभु भजन में लीन हो गये इतने,

साधु संत संगति से हुआ प्यार।।


घर से चले थे, स्कूल की खातिर,

मिल गये पुराने मेरे गुरु भी वहां।

ज्ञान विज्ञान से भर दिया मुझको,

मुझको तो याद आया पूरा जहां।।


घर से चले थे, सिनेमा देखने को,

फिल्म लगी थी शहर में शहीद।

वीरों की कुर्बानी याद रहेगी हमें,

सेवा करते हैं दीपावली और ईद।।


घर से चले थे, वीरों से तब मिलने,

आयी देश के शहीदों की तब याद।

सोचा कि आजादी मिली मुश्किल,

अंग्रेज भी इंसां नहीं थे वो जल्लाद।।


घर से चले थे, वन गमन को तो,

मिले अनेकों पेड़, जीव और फूल।

मन में उमंग भर दी चहुं हरियाली,

याद आई हमको वो पुरानी धूल।।


घर से चले थे, यादों के बस सहारे,

कहीं लोग मिले थे साथी सम प्यारे।

मन में आया कि इनसे करूं यूं बात,

बहुत प्रिय होते थे कभी बुजुर्ग हमारे।।


घर से चले थे, आजादी जश्न मनाने,

तिरंगा लिये मिले लोग जाने पहचाने।

खो गये हम वीर, शहीदों की यादों में

कैसे दिन बिताये होंगे उन्हें प्रभु जाने।।



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