शिव भक्ति
शिव भक्ति
जग के पालनहार हैं, भोले बाबा है नाम,
पूरा विश्व तुम पे टिका, बड़ा निराला धाम।
शिव भक्ति में लीन हो, हो जाए बेड़ा पार,
कदम कदम पे जीत हो, नहीं मिलेगी हार।।
कितने पापी पार उतारे, कितने ही सहारे हैं,
नारी ,पुरुष, बाल, देवी देवता को तुम प्यारे हैं।
त्रि-नेत्रधारी कहलाते, महिमा बड़ी भारी है,
तेरी सूरत पूरे जग में, अजब अनोखी न्यारी है।।
श्रावण माह जब आता, बम बम बोले लोग,
तेरे दर्शन मात्र से ही, कट जाते हैं सब रोग।
तेरी भक्ति के आगे, नतमस्तक होता है संसार,
तेरा जो गुणगान करे, मिलता शिव का प्यार।।
रावण भी था शिवभक्त, मांगा शिवलिंग प्यारा,
रावण की भक्ति के सामने, शिवभाले भी हारा।
रावण ले चला शिवलिंग, बैजनाथ बना धाम,
शिवभक्ति कर लो प्यारे, होगा जगत में नाम।।
मारकंड ऋषि महा तपस्वी, जाने दुनिया सारी,
16 वर्ष तक जिंदगी थी, पर जीया जीवन पूरी,
यमराज नहीं हटा सके, लिपटे जब शिवलिंग,
शिव भक्ति के आगे, मन्नत नहीं रही अधूरी।।
पुराणों की रचना की, मारकंड पुराण कहाए,
मारकंड महादेव धाम, जन जन को हँसाये।
शिव भक्ति की है दास्तान, ओम नम: शिवाय,
अपने शिव भक्तों को भोले, अपने गले लगाये।।
सिंहकेतु की कहानी आती, भील बने महान,
शिवभक्ति के बल पर, बढ़ी जगत में शान।
दिव्यरूप बना तन उनका, गये शिव के धाम,
शिव आराधना के आगे, पूरे हो बिगड़े काम।।
शनि, रावण, कश्यप ऋषि कई अनोखे भक्त,
पापी अजामिल, राक्षसों का बहा दिया रक्त।
नहीं हुआ और नहीं होगा, ऐसा जगत देव,
भूतनाथ, भोलेबाबा कितने ही नाम महादेव।।