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chandraprabha kumar

Action Inspirational

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chandraprabha kumar

Action Inspirational

शुभ रक्षा बन्धन

शुभ रक्षा बन्धन

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उपहार लेने के लिये 

मैंने नहीं बॉंधी राखी

मैं क्यों लूँ भाई से पैसे

या फिर कोई उपहार। 


क्या मैं असहाय दुर्बल हूँ

क्या भाई मेरा भार उठाये

क्या मैं भाई समकक्ष नहीं

क्या मैं समान सन्तान नहीं।


क्यों यह भेदभाव बना

राखी है प्यार का बंधन

नहीं लेनदेन का ज़रिया 

भाई- बहिन का पवित्र रिश्ता।


एक दूजे का ख़्याल है करना 

बहिन करे कल्याण कामना

भाई की विजय की कामना

भाई दे बहिन के सपनों को उड़ान। 


बहिन को पैसे देकर

भाई उसे छोटा न बनाये

बहिन को भी अधिकार

भाई के बराबर ही है। 


बहिन के अपने सपने हैं

ऊँची आकॉंक्षायें हैं 

उनको पूरा करने में

भाई उसका सहायक बने। 


देवी लक्ष्मी ने बॉंधी थी,

दानवेन्द्र बलि को राखी

बदले में पाया विष्णु को

बलि की पहरेदारी से मुक्त हो।


कहीं कोई बहिन को

कम नहीं समझना है

बराबर का रिश्ता है यह

रक्षा और कल्याण कामना है।


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