इस तिरंगे तले...
इस तिरंगे तले...
हमारा तिरंगा शान है हमारी,
इस तिरंगे तले अमर उजाला है
शहीदों की शहादत की ...!
यहाँ की मिट्टी में बीज बोए हैं
हरेक वीर-वीरांगना की माता ने ...
यहाँ हर घर में हरेक पिता
भारत भविष्य को अपने सुविचारों की
सुरक्षा-कवच से बाँधकर
अपने संतान को
एक सुनागरिक बनाने का
बीड़ा उठाया करता है ...
तभी तो देश हमारा सर्वश्रेष्ठ है !
आत्मनिर्भर है !
तिरंगे की शान में
अगर कोई अलगाववादी
गुस्ताखी करने की जुर्रत करे ,
तो उस नाक़ाबिल शख्स को
हरेक हिंदुस्तानी
करारा जवाब दिया करता है !!!
यहाँ के फौजी भाई
दिन-रात भारत की
सरहदों की ईमान से
रखवाली करते हैं ।
ऐसा है देश हमारा !
ऐसी विविध संस्कृतियों की
सशक्त माला के
प्रेम-बंधन में बंधकर
हरेक हिंदुस्तानी
बस यही नारा लगाता है :
"भारत माता की जय !!!"
ये सरदार पटेल की
एकता का महासूत्र है ,
जो किसी अलगाववादी के
फूट डालने से कभी
टूटकर बिखर नहीं सकता ... !
ये सन १८९३ को
अमेरिका के शिकागो शहर में
आयोजित विश्व धर्म महासभा के
ऐतिहासिक अवसर पर
स्वामी विवेकानंद जी के
विश्वबंधुत्व पर दिए गए
सशक्त भाषण का परिणाम है ,
जिसके आधार पर
हम सब एक सूत्र में बंधे हैं ...
आत्मनिर्भर हैं ।
यही तिरंगे की शान है !
तभी तो हम सब
एक साथ मिलकर
भारत माँ को
विश्वगुरू का सर्वोच्च स्थान
दिलाने में अपना निस्वार्थ योगदान
देने को सदैव तत्पर हैं ।
चलो, हम सब दृढ़ संकल्प लें !
भारत माँ शान में
अपना तन-मन-धन
न्यौछावर करें...!
