ये है जमाना
ये है जमाना
महफ़िल में सब घर आते थे मेरे मेहमान बनकर,
मुसीबत आने पर दूर हो गये थे मुसाफिर बनकर।
मतलब के लिये सब घर आते थे मेरे दोस्त बनकर,
मतलब पूरा होने के बाद हो गये सब गद्दार बनकर।
रास्ते में सामने मिलते थे मुझे सब राहदारी बनकर,
मुझे देखकर रास्ता बदलते थे सब अनजान बनकर।
जुल्म और सितम करते थे मुझ पर हैवान बनकर,
मुझ को इशारों पर नचाते थे सब जादूगर बनकर,
"मुरली" मेरा हाल नहीं पुछा था मेरा रिश्तेदार बनकर,
अब चले आये मेरा जनाजा उठाने सब बाराती बनकर।
