आजकल के रिश्ते
आजकल के रिश्ते
आजकल के रिश्ते
बनते बिगड़ते
साथ चले जब तक
साथ रहना हो तब तक
साथ हो जब तक
हो ना हो बराबर
कभी भारी सा,
कभी बेकर सा
कभी बेमतलब सा
कभी बिनजरुरियत का
रिश्तों के नाम रहे
मायने ये बन गये
कोई घर आये तो पसंद नही
अपनी उपलब्धि दिखने के रिश्तेदार कम सही
बेमतलब के हो गए है रिश्ते आजकल के
वरना हुआ करते थे मिलके मुस्कुराने के रिश्ते ।
