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ritesh deo

Tragedy

4  

ritesh deo

Tragedy

बेटे भी घर छोड़ते है

बेटे भी घर छोड़ते है

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आज तेरा बेटा कितने दिनों 

बाद घर आया है, 

और तू है कि-

वैसे की वैसी ही

अपने कामों में लगी पड़ी है ।


आ बैठ न कुछ देर मेरे पास, 

मैं कुछ पल सुकून से, 

तेरे पास बैठना चाहता हूँ ।


फिर से एक दिन घर छोड़ जाना ही है माँ.............. 

आज फिर से अपने हाथों से , 

खाने का एक-एक निवाला, 

करके खिला दे माँ ।

बाहर के खाने में , 

वो स्वाद कहाँ माँ.. 

जो तेरे हाथों के खाने में है ।


फिर से एक दिन घर 

छोड़ जाना ही है माँ........ 

आ आज फिर से 

अपनी गोद में थपकी देकर 

सुला ले माँ,,, 

मैं अब सुकून से कुछ देर, 

सोना चाहता हूँ माँ, 

चार दीवारो के बीच, 

वो नींद कहाँ,, 

जो नींद तेरी गोद में हैं माँ,,,,,, 

फिर से एक दिन 

घर छोड़ जाना ही है माँ,,,,,,,, 

               


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